नौकरी

नवम्बर की उस आवारा शाम को लड़का रोज की तरह पार्क की बेंच पर बैठा था,उस लड़की की इंतजार में, जिस से वो प्यार करता था।दिन भर इधर उधर दफ्तर दर दफ्तर डिग्रीयों की फ़ाइल लेकर मारा मारा फिरने के बाउजूद भी उसे नौकरी नहीं मिली थी। वो रोज शाम की तरह इस शाम को भी पार्क की उस बेंच पर वो उस लड़की का इन्तजार कर रहा था जिसके गोद में सर रखकर वो रोज की कहानी बताता था और अपने आँखों क3 आंसू बहने से पहले ही उसके दुपट्टे में पोंछ लेता था। उस दिन काफी देर हो गयी थी लड़की के आने में। लड़का बेचैनी में पार्क के उस बेंच पर अपना और उस लड़की का नाम उकेर रहा था। तभी दूर से उसे कोई आता हुआ दिखाई दिया, शाम के धुंध में उसे कुछ भी साफ़ नहीं दिखा रहा था। जब वो धुंधली तस्वीर उसके करीब आई तो उसे एक छोटे से बच्चे का चेहरा नजर आया। बच्चा जब सामने आया तब उसने हाथ से एक पैकेट निकाल कर उस लड़के को दिया और तुरंत ही शाम की धुंध में गायब हो गया। लड़के एक पल के लिए चौंक गया फिर उसने अनमने ढंग से उस पैकेट को खोला। पैकेट में कुछ कागज़ लिफाफे थे। जब उसने पहला लिफाफा खोला तो उसमे किसी कंपनी का को दस्तावेज नजर आये। पूरा पढ़ने पर उसे पता चला की वो तो उसी कंपनी का कॉल लेटर था जिस कंपनी में नौकरी के लिए वो आज सुबह सुबह गया था। लड़का बहुत खुश हुआ, उसकी सारी चिंताए दूर हो गयी थी। वो मन ही मन खुश हो रहा था की नौकरी मिलने की खबर सबसे पहले वो उस लड़की को देगा। लड़का इतना खुश था की ख़ुशी में उसने दुसरा लिफाफा नहीं खोला। कुछ देर बाद जब उसके आँखों से सुनहरे भविष्य की धुप हटी तब उसने दूसरा लिफाफा खोला। ये कोई शादी का कार्ड था। पूरी तरह से कार्ड पढ़ने पर वो स्तब्ध रह गया। उसकी आँखों से आंसू धीरे धीरे रास्ता ढूंढते ढूंढते निकलने लगे। लड़के को उस समय लड़की के दुपट्टे की बहुत ज्यादा जरुरत महसूस हुई। पर उस समय लड़की उसके पास न आ पायी। शाम के उस धुंध में लड़के को एक और अक्स नजर आया। मानो वो अक्स दूर से उस लड़के को देख रहा हो पर पास नाही आ रहा। लड़का पार्क की बेंच से उठकर उस अक्स के करीब जाने लगा पर वो जितना उस परछाई के पीछे जाता परछाई उतने ही दूर जाती रही। और एक समय के बाद परछाई नवंबर की उस धुंधली शाम में न जाने कहाँ खो गयी।

अगले महीने की पहली तारीख लड़के की जिंदगी की एक महत्वपूर्ण तारीख थी। वो दिन लड़के की नौकरी का पहला दिन था और उसी दिन लड़की की शादी उसके कंपनी के मालिक, उसके बॉस से हो रही थी।

घर वापसी

वो गली जिसे भुतहा समझकर लोगो ने अनदेखा कर दिया है कभी उस गली में जाना, वहाँ 11वी क्लास एक लड़का जस का तस बैठा मिलेगा क्लास की पिछली बेंच पर एक लड़की को टुकुर टुकुर ताकते हुए, मुट्ठियों में कागज़ के टुकड़े को भींचे हुए। उस लड़की की शकल तुमसे कितनी मिलती है ये सोच कर तुम चौंकना मत।

वो शहर के आखिरी छोर पे जो एक खंडहर है न कभी तुम उसमे जाना, वहाँ तुम्हे वही लड़का मिलेगा सड़क पर अपनी सायकिल की चेन लगाते हुए, सड़क के उस छोर पर अपने पापा के स्कूटर पर बैठी वो लड़की भी तुमको मिलेगी, उसे कहना लड़का शराब पीने से कभी नहीं मरेगा।

वो जो मेरे घर के पीछे वो रेलवे का यार्ड है न तुम उसमे जाना, वहाँ तुम्हे वही लड़का दिखेगा उसी लड़की के साथ, एक पूल के पर,तुम उनदोनो को बस इतना कहना की पूल से कूद जाना ही उन दोनों के लिए बेहतर है। पूल के दोनों तरफ इंसानों की बस्ती है, मुखौटे वालो इंसानो की बस्ती।

वो जो तुम्हारे घर के पिछवाड़े जो सुखा कुवां है न तुम उसमे झाँक के देखना वहाँ वो लड़का खड़ा है किसी स्टेशन पर, दुनिया से बहुत दूर जाने के लिए, किसी ट्रेन का इन्तजार कर रहा होगा, तुम उस लड़के को बस इतना कहना की वो लड़की उसका इंतजार कर रही है उसी पूल पर जहाँ उस से वो आखिरी बार मिली थी। सुनो तुम एक काम करना दोनों को पूल से धक्का दे देना। और लौट आना हमेशा के लिए मेरे पास उसी पूल के पास सालो पहले जहाँ से हमदोनो कूदे थे।