उजला सा इक आसमान

सामने सिगरेट की एक डिब्बी पड़ी थी, पर वो उसे छू तक नहीं रहा था, चुप चाप आसमान की तरफ देख रहा था। सिगरेट की डिब्बी के ठीक बगल में कुछ कागजो की एक फाइल थी, जिसे कभी वो देखता और किसी सुखी नदी की तरह उदास हो जाता। कभी वो अपने बीस मंजिला फ्लैट के टेरेस पर बैठ कर घंटो आसमान की तरफ देखता था, सिगरेट पीता था। पर उस दिन वो घंटो आसमान को तकता रहा, मानो जैसे बादलों में किसी खोये खजाने का नक्सा तलाश रहा हो या फिर बादलों में उन खंडहरनुमा महलों को ढूंढ रहा हो, जिसे कभी वो अपना घर कहता था। वो कभी आसमान को तकता, कभी सिगरेट की तरफ देखता, कभी छत की मुंडेर पर रेंग रही किसी चींटी को मसल देता और मुस्कुराने लगता। अगले ही पल वो किसी अमावस की रात की तरह उदास और शांत हो जाता।
नीचे की रंगीन दुनिया में भी चींटियों के माफिक लोग मसल दिए जाते थे, बाकी चींटियों के झुण्ड में थोड़ी हलचल होती पर कुछ पल के बाद सब कुछ शांत हो जाता था। चींटियाँ, चींटियों से खरगोश बन जाती और फिर अपने बिलों में दुबक जातीं। उसे दुनिया खिलौने की तरह लगती, जहाँ खिलौने, खिलौनों से खेलते और कागजो पर गणित के कुछ समीकरण, विज्ञानं के कुछ सिद्धांत लिखकर, अपने आप को इंसान घोषित कर लेते। उसे कागजों से नफरत थी, उसका मानना था कागज़ पर सिर्फ कवितायें ही लिखी जानी चाहिए और बेवकूफ लोग कागज पर चोरी, डकैती, लूट, बलात्कार, आत्महत्या की खबरे छाप देते हैं। कागज़ पर किसी का मेडिकल रिपोर्ट छाप देते हैं जिन्हे पढ़ने के बाद कविता लिखने वाले कविता लिखना छोड़ देते हैं। उसे ऐसे इंसानों से भी नफरत थी, जो इंसान होने का दिखावा करने के लिए रंगीन मुस्कुराते मुखौटे खरीदते थे, जिन से उनका सपाट, भावना विहीन चेहरा छिप सके। वो सड़क पर किसी दम तोड़ते इंसान को देखे तो, जेब से कोई काला नक़ाब निकाल, चेहरे पर चढ़ा कर दूर निकल ले। उसे इंसान होने से भी नफरत थी इसलिए वो इंसान नही बना रहना चाहता था।
वो उस दिन घंटो बैठ आसमान को ताकता रहा, बीच बीच में हर एक घंटे पर हू ब हू उसके जैसे दिखने वाला एक लड़का, ठीक उसके जैसे कपडे पहने हुए, उस से कुछ दूरी पर, उसी मुंडेर पर बैठा, एक सिगरेट सुलगाता, आसमान की तरफ तलाश भरी निगाहो से देखता और जोर से रोता फिर एक फाइल से कुछ कागज़ निकाल कर फाड़ता, और कागज़ के टुकड़े हवा में उड़ाकर, मुंडेर से छलांग लगा देता। जब भी उसके जैसे दिखने वाला लड़का छत से छलांग लगाता, वो एक चींटी को मसल कर बहुत देर तक हँसता।