डेविड अल्बर्ट

डेविड अल्बर्ट एक बहुत ही बेफिक्र और मस्त रहने वाला लड़का है. डेविड अल्बर्ट बेफिक्र, मस्त लापरवाह होने के साथ-साथ संवेदनशील है. वो अपने दोस्तों के बीच एक सीक्रेट डैन्क मेमे संगठन नामक ग्रुप चलाता है जिसपे वो बेहद ही असंवेदनशील चुटकुले और मीम साझा करता है. इसके बावजूद भी डेविड अल्बर्ट बेहद संवेदनशील है.

डेविड अल्बर्ट सुबह सुबह थाई इंस्पीरेशनल विडियो देख के रोता है. फिर अमेरिकाज गोट टैलेंट के विडियो और केबीसी का सुशील कुमार वाला विडियो क्लिप देख के मोटीवेटेड होता है. डेविड अल्बर्ट मेहनती है पर नल्ला है. इसलिए वो अपने मेड का भी मेड है. अपने ड्राईवर का भी ड्राईवर है. डेविड अल्बर्ट एकदम जमीन से जुड़ा आदमी है. वो दूध का चाय भी पी लेता है. दूध न होने पर वो निम्बू वाली लाल चाय भी पी लेता है. निम्बू न हो तो वो काली चाय पी लेता है. चायपत्ती न हो तो वो गरम पानी पी कर खुश रहता है. पानी गरम करने के लिए इंधन न हो तो वो खाली गिलास के खालीपन को अपनी जिंदगी के खालीपन से जोड़ते हुए एक प्यारी सी कविता लिखकर खुश रहता है.

डेविड अल्बर्ट थोड़ा कमीन है लेकिन दिल का साफ़ है. थोड़ा अय्याश भी है. लेकिन वो मानता है की अय्याशी भी ऐसे हो की हदें न टूटें. वो शिवा सहगल भी पीता है, पीटर पारकर भी पीता है, नम्बर 1 भी पीता है, बालेन्द्र प्राइड भी पीता है, कभी जब जेब ढीली हो तो वो ऑटो स्टैंड वाले देसी ठेके में ऑटो चालकों के संग देसी भी पी लेता है. डेविड अल्बर्ट को आस पास के लोग हीरा कहते हैं. डेविड अल्बर्ट को थोड़ा लगता भी था की वो वाकई एक हीरा है जिसे पहचानने वाला कोई जौहरी नहीं है, लेकिन जब एक दिन उसे पता चला की लोग उसे हीरा नहीं हेरा ठाकुर कह ते हैं तो उसे बुरा लगा. उसे आस पास के वो लोग बहुत धोखेबाज लगने लगे, जिनके घर वो जरूरत पड़ने पर सिलिंडर पहुंचाता था, टीवी खराब होने पर टीवी बना देता था. उनके बच्चो के कंप्यूटर में फ्री में विंडोज एक्सपी चढ़ा देता था, रक्षाबंधन के दिन मोहल्ले के सभी अंकलों आंटियों के बेटियों से ख़ुशी ख़ुशी राखी बंधवा लेता था, उन मुहबोली बहनों को आशीर्वाद के साथ-साथ पैसे भी दे देता था.

एक दिन हद तो उस दिन हो गयी जब उसकी पुरानी प्रेमिका निकी मिन्हाज ने उसे साफ़ साफ़ कह दिया की अब वो उस से कोई रिश्ता न रखें. अब वो ज्यादा दिन इस रिश्ते को ढो नही सकती. यही वक्त है की वो अब अपने जीवन पर ध्यान दे और अपने पैरों पर खडा हो जाए नहीं तो कोई लड़की उस से शादी नही करेगी. निकी मिन्हाज ने ये भी कहा की अगले महीने उसकी शादी पालनगर के शॉन पाल से हो रही है. अब वो उसे भूल जाए. उस दिन अल्बर्ट डेविड दुखी तो हुआ लेकिन उसे निकी मिन्हाज की ये साफगोई अच्छी लगी. उसे अच्छा लगा की निकी मिन्हाज ने उस से बिना किसी ड्रामा और रोने धोने के रिश्ता तोड़ लिया. और तो और निकी मिन्हाज ने उस से वो 15 हजार रुपये और वो सारे गिफ्ट भी वापस नही मांगे जो उसने रिलेशनशिप के दौरान उसे दिए थे.

उस दिन डेविड अल्बर्ट दुखी तो था लेकिन मन ही मन उसने निकी मिन्हाज और शॉन पाल के सुखी जीवन की कामना की और लल्लन के चाय की दूकान की तरफ बढ़ गया. डेविड अल्बर्ट जब लल्लन की दूकान की तरफ जा रहा था तभी उसने रास्ते में एक कुत्ते और एक कुतिये को चिपके हुए देखा. डेविड अल्बर्ट दिल का साफ़ और भोला होते हुए थोड़ा कमीन भी था इसलिए उसने दोनों चिपके बेजुबान जानवरों को देखकर मामले को भांप लिया था.

डेविड अल्बर्ट ने उस दिन दार्शनिकों के अंदाज में उस प्रेम के बंधन में जकड़े कुत्ते और कुतिये से कहा

” प्रेम शुरू में बहुत ही आनंदमयी प्रतीत होता है. इंसान को एकाएक ऐसा लगने लगता है की बस यही! बस यही तो मंजिल थी. यही तो था जो जीवन से मिस हो रहा था. प्रेम यहाँ से शुरू होकर ऐसे चरण में पहुंचता है की जब लगता है की ठीक है प्यार मोहब्बत सब कुछ ठीक है लेकिन अब क्या दिन भर तुम्हारा ही नाम जपते रहें. अरे, बर्बाद कर के धर दी हो. अब तुम ही बताओं क्या करें. ये चरण वही चरण है जिस चरण में तुम दोनों हो अभी. एक दुसरे से छूटना चाह रहे हो पर आसानी से छूटोगे नही. और दू तीन बाद जब छुट जाओगे तब एक जख्म लेके ही छूटोगे………”

इस से पहले की डेविड अल्बर्ट का प्रेम के दर्शनशास्त्र का यह अध्याय खत्म होता. डेविड अल्बर्ट के भाषण से क्रोधित हुए कुत्ते ने उन्हें काट लिया. कुत्ते के काटे जाने के बाद भी डेविड अल्बर्ट ज्यादा क्रोधित नही हुआ. डेविड अल्बर्ट ने जाते जाते-जाते उन दोनों को कहा “सुनो, चाहे वो कुत्ता हो या इंसान, जब खीज में होता है न तो काटने लगता है